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स्वास्थ

कैंसर के मरीजाें के लिए खुशखबरी गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी के डॉक्टरों ने गॉलब्लेडर कैंसर के मरीजों की डाइग्नोसिस में यह नई तकनीक ईजाद की है।

 कैंसर के मरीजों के लिए बड़ी खबर है। अब कैंसर की डाइग्नोसिस आसानी से होगी। चंडीगढ पीजीआइ ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे एक इंजेक्शन में गॉलब्लेडर कैंसर की डाइग्नोसिस हो सकेगी।

चंडीगढ़, कैंसर मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। अब पीजीआइ ने कैंसर की जांच की आसान तकनीक ईजाद की है। इसके तहत महज एक इंजेक्शन में गॉल ब्‍लेडर कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। पीजीआइ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी के डॉक्टरों ने गॉलब्लेडर कैंसर के मरीजों की डाइग्नोसिस में यह नई तकनीक ईजाद की है। अब महज लक्षणों और जांच के आधार पर किए गए कैंसर की डाइग्नोसिस को और पुख्ता करने में मदद मिलेगी।

गॉल ब्लेडर कैंसर की जांच की PGI ने इजाद की नई तकनीक, जांच में दिए जाने वाले इंजेक्शन में किया बदलाव

डॉक्‍टरों का कहना है कि ऐसा करने से जहां एक ओर गॉल ब्लेडर के कैंसर के मरीजों को सही जांच की सुविधा मिलेगी वहीं लक्षणों के आधार पर सलेक्ट किए गए मरीजों में से कैंसर के वास्तविक मरीजों को अलग करने में आसानी होगी। दरअसल, कई  बार जिन जांच रिपोर्ट में कैं सर की आशंका सामने आती थी उनमें ऑपरेशन के बाद वह कोई और बीमारी निकल जाती थी। ऐसा होने से दूसरी मर्ज के मरीजों को भी बड़ी सर्जरी जैसे दौर से गुजरना पड़ता था।

पैप स्कैन जांच के दौरान फ्लूरोडिऑक्सी की जगह फ्लूरोलिबोथाइमिडी लगाया

पीजीआइ के डॉक्टरों ने इस समस्या के समाधान और भ्रम के निवारण के लिए यह बदलाव किया है। इसमें पैट स्कैन टेस्ट के दौरान महज एक इंजेक्शन में बदलाव करके डाइग्नोसिस में आने वाली शंका का समाधान कर दिया है। इससे मरीजों को बहुत आसानी होगी और इलाज भी सहज हो जाएगा।

58 मरीजों पर हुआ रिसर्च

गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी के एक्स प्रो. गंगाराम वर्मा ने बताया कि 2016-18 के बीच हुए इस रिसर्च में ऐसे 58 मरीजों को शामिल किया गया था जिनमें गॉल ब्लेडर के कैंसर के लक्षण पाए गए। उनकी सीटीस्कैन रिपोर्ट में कैंसर की पुष्टि हुई थी, लेकिन पैट स्कैन की रिपोर्ट क्लीयर नहीं आ रही थी। ऐसी स्थिति में बिना समुचित व पूरी तरह पुष्टि के उन मरीजों में कैंसर का ऑपरेशन करना ठीक नहीं था। इसलिए कैंसर की पुष्टि के लिए इसपर रिसर्च शुरू हुआ।

रिसर्च के दौरान कई फेर-बदल किए गए। अंत में जांच के दौरान दिए जाने वाले इंजेक्शन में बदलाव करने से चौंकाने वाली परिणाम सामने आये। पीजीआइ के इस रिसर्च को यूएसए के क्लीनिकल न्यूक्लीयर मेडिसिनि जरनल में भी प्रकाशित किया गया है।

फ्लूरोडिऑक्सी की जगह फ्लूरोलिबोथाइमिडी लगाया

प्रो. गंगाराम ने बताया कि जिन मरीजों में सीटीस्कैन की जांच में कैंसर की पुष्टि हुई थी उनकी फिर से पैट स्कैन जांच की गई। लेकिन उस दौरान दिये जाने वाले रेडियोट्रेसर इंजेक्शन फ्लूरोडिऑक्सी की जगह उन्हें फ्लूरोलिबोथाइमिडी का डोज दिया गया। इस इंजेक्शन के प्रयोग के बाद चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आए। जांच में शामिल किए गए 58 मरीजों में से 19 को कैंसर था ही नहीं। बाकी 39 मरीजों में इस जांच में भी कैंसर की पुष्टि हुई। उनकी सर्जरी कर इलाज की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। वहीं जिन 19 मरीजों में कैंसर नहीं पाया गया उनका गॉलब्लेडर की अन्य बीमारी का डाइग्नोसिस कर इलाज किया गया। उन मरीजों का लगातार फॉलोअप लिया गया। उनमें से एक को भी अब तक कैंसर नहीं हुआ।

गॉल ब्लेडर कैंसर का कारण

फैमिली में पहले भी किसी को गॉल ब्लेडर का कैंसर हो, गॉल ब्लेडर में काफी समय से स्टोन होना, मोटापा, शूगर, शराब पीना, सिगरेट पीना।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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