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उत्तराखण्ड

भूस्खलन जोन में दस साल में गई बीस लोगों की जान

देहरादून। बदरीनाथ हाइवे पर पाताल गंगा भूस्खलन जोन से आए दिन होने वाली तबाही किसी से छिपी नहीं है। बीते 20 सालों से सक्रिय इस भूस्खलन जोन के स्थाई समाधान के प्रयास हमेशा असफल रहे। बीते दस सालों में इस जोन में 30 से अधिक दुर्घटनाओं में 20 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) ने भूस्खलन जोन का सर्वे कर इसके स्थाई ट्रीटमेंट की कार्ययोजना भी बनाई। लेकिन सड़क से दो किमी ऊपर से भूस्खलन होने के चलते उसे रोकना आसान नहीं था।

यहां भूस्खलन को देखते हुए अब एनएच महकमा इस 600 मीटर क्षेत्र के 150 मीटर हिस्से को खतरनाक क्षेत्र घोषित कर यहां हाफ टनल का निर्माण कर रहा है। 33 करोड़ की लागत वाले पाताल गंगा भूस्खलन जोन ट्रीटमेंट प्लान के तहत बन रही यह हाफ टनल उत्तराखंड में अपनी तरह की पहली टनल है। एनएचआइडीसीएल के अथॉरिटी इंजीनियर लक्ष्मण सिंह ने बताया कि पाताल गंगा भूस्खलन जोन में आवाजाही सुचारूबनाने के लिए यह टनल इंजीनियरिंग का बेहतर नमूना है। एनएच के सहायक अभियंता अंकित शर्मा का कहना है कि ट्रीटमेंट प्लान के तहत भूस्खलन जोन में पक्की पहाड़ी तक भूस्खलन रोकने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। हाफ टनल की खूबी यह है कि इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। टनल के ऊपर से मिट्टी डालने के बाद इसमें हरियाली उगने से भविष्य में आसपास होने वाले भूस्खलन पर भी लगाम लग सकती है।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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