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पहाड़ियों से घिरी अनछुई वेगामन दुनिया यहां दिखेगी स्कॉटलैंड जैसी खूबसूरती

पहाड़ियों से घिरी अनछुई दुनिया वेगामन, यहां दिखेगी स्कॉटलैंड जैसी खूबसूरती

बारिश के सुहाने मौसम में केरल की अद्भुत सुंदरता के गुलदस्ते में वेगामन एक महकते फूल की तरह हर किसी को मोह लेता है।मनमोहक आबोहवा, हर तरफ फैली इलायची की सुगंध और आपके हाथ में हो गर्म कॉफी का कप। बैठ जाइए यहीं कहीं किसी टीले के पास और निहारिए डूबते सूरज और उसके नारंगी सौंदर्य को, आत्मसात कर लीजिए कुदरत के ऐसे ही कुछ बेहतरीन लम्हों को वेगामन हिल स्टेशन में। दरअसल, पश्चिमी घाट की पहाड़ियों का बड़ा हिस्सा केरल में पड़ता है। इन पहाड़ियों से लिपटी सड़क क्रमश: ऊपर की ओर जाती है और कुदरती सौंदर्य को कई बार निहार आती है। आप इसके किसी भी हिस्से में घूम आइए, यह आपको आनंदविभोर कर देगा।

इडुक्की जिले में एक से बढ़कर एक हिल स्टेशन मौजूद हैं, पर वेगामन उन सबसे अलग है। इसकी खूबसूरती बिखरी है उन छोटी-छोटी पहाड़ियों पर पसरी हुई हरी घास की चादरों पर। पहाड़ियों के बच्चों की तरह लगते दूर-दूर तक फैले टीलों पर बिछी घास की चादर इसे स्कॉटलैंड जैसी खूबसूरत छवि प्रदान करती है। समुद्र तल से बारह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान अपने इन टीलों के कारण ही विश्वप्रसिद्ध है।

आध्यात्मिक शांति मिलती है यहां 
वेगामन आना इन पहाड़ियों में घिरी शांत दुनिया को महसूस करना है। ये पहाड़ियां केरल राज्य के प्रचलित और प्रसिद्ध सौंदर्य से अलग अनुभव देती हैं, पर ऊंचाई पर स्थित होने के कारण इसका सौंदर्य और इसकी स्थिति लगभग अछूती ही रहती है। कह सकते हैं कि यह स्थान आध्यात्मिक शांति के लिए आदर्श स्थान उपलब्ध कराता है। शांत वातावरण, मलय पर्वत की ठंडी-ठंडी हवा और नीचे घाटी की विस्तृत दुनिया। मेडिटेशन करना चाहते हैं तो इससे सुंदर जगह नहीं मिलेगी। यहां के रास्ते दिलफरेब हैं। वेगामन पहुंचने का रास्ता मंत्र- मुग्ध करने वाला है, जहां आपको कुदरत के कई रूपों के दर्शन होने लगते हैं। नीचे विषुवतीय वर्षा वन के सदाबहार पेड़ों का साम्राज्य है, फिर एक खास ऊंचाई के बाद हरियाली का स्वरूप बदलने लगता है। पेड़ों की आकृतियां छोटी होने लगती हैं और घास का हिस्सा बढ़ता नजर आने लगता है।

हरी-ऊंची घास की चादर 
ऊंची-ऊंची घास के बीच से गुजरती सड़क आपको हर पल एक नया रोमांचक अनुभव कराती नजर आएगी। बाद में सड़क उस ऊंचाई तक भी पहुंच जाती है, जहां घास जमीन पर बिछी हरी चादर में तब्दील होकर आसपास के वातावरण को सर्वथा नवीन प्राकृतिक छटा से सुशोभित करने लगती है। समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल अपने सुहाने और खुशनुमा मौसम में जो दृश्य पेश करता है, वह अपने आप में अनूठा है। दक्षिण भारत की गहन यात्रा करने वाले सैलानी जानते हैं कि इस तरह का सौंदर्य किसी स्थान पर होना कितना अलग होता है। दक्षिण ही क्यों, समूचे भारत में ऐसे स्थान बहुत ही कम हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य का अलग मानक स्थापित करते हों।

मलयाली और तमिल संस्कृति का अनूठा संगम
यह एक छोटा सा प्लांटेशन टाउन भी है, जहां चाय, कॉफी और इलायची की खेती होती है। वाल्टर डंकन ऐंड कंपनी ने यहां चाय बागानों की शुरुआत की थी। दूर-दूर तक गहरे हरे रंग की मोटी चादर के बीच चाय की पत्तियां चुनने वाले कामगारों को देखें तो वह उस हरी दुनिया में जीती-जागती पेंटिंग के समान लगते हैं।

चाय और कॉफी के बागानों में काम करने वाले लोग पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से यहां लाकर बसाए गए हैं। इसलिए तमिलनाडु के प्रभाव में यहां की स्थानीयता थोड़ी अलग है। इसमें मलयालम के साथ तमिल भाषा और संस्कृति का अद्भुत मेल भी दिखायी देता है। राजनीतिक रूप से केरल का हिस्सा होने के बावजूद भाषा और संस्कृति के मामले में यह तमिलनाडु से काफी मिलता-जुलता है। यह मेल इस स्थान को अलग तरह से प्रभावित करता है। आपको यह भी बता दें कि यहां चाय के साथ-साथ इलायची की भी खेती होती है। केरल के स्थानीय लोग यहां इलायची की खेती करते हैं। इलायची की फसल तैयार होने के मौसम के दौरान वेगामन में घूमना और यहां रहना सौंदर्य के सुगंधित रूप से साक्षात्कार करने के समान होता है। फिर आप इस खुशबू को ताउम्र संजोए रहते हैं।

पहाड़ियों से घिरी अनछुई दुनिया 
यह हिल स्टेशन तीन पहाड़ियों की एक शृंखला है। तंगल, मुरुगन और कुरिसमला की पहाड़ियों की यह शृंखला एक विस्तृत क्षेत्र में फैले सौंदर्य का अनुपम अनुभव प्रदान करती है।

लेमन ग्रास के बीच ट्रेकिंग
ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह एक आदर्श जगह है। ऊंचे-ऊंचे लेमन ग्रास के बीच बने पतले-पतले कच्चे रास्तों के सहारे नीचे से ऊपर तक पहाड़ नाप डालना ट्रेकिंग के शौकीन लोगों को खूब आकर्षित करता है। दरअसल, ट्रेकिंग करने वाले देसीविदेशी सैलानी यहां हरी, मखमली घास के सौंदर्य को आत्मसात करने के लिए भी आते हैं।

कमी नहीं है नजारों की मरमला झरना 
मधुर आवाज में ऊंचाई से गिरता पानी किसे आकर्षित नहीं करता। मरमला झरना भी मंत्रमुग्ध कर देता है। हालांकि ऊपर से गिरते पानी की गति और गहराई बहुत ज्यादा होने के कारण आप झरने के पानी में नहीं उतर सकते। ऐसा करना यहां प्रतिबंधित है। वेगामन से इराटुपेटा के रास्ते पर यह झरना स्थित है। इस तक पहुंचने का रास्ता वाहनों के अनुकूल नहीं है। आप यहां ट्रेकिंग के सहारे पहुंच सकते हैं। इस रास्ते पर ट्रेकिंग का अनुभव अनूठा होता है। बरसात के मौसम में तो हर जगह से झरते पानी के बीच मरमला झरने की गरजती ध्वनि अलग से पहचानी जा सकती है। आसपास फैली हरियाली और उनके बीच कूदते-फांदते खरगोश और उड़ते पक्षी ट्रेकिंग के दौरान अलग ही रोमांच प्रदान करते हैं। जब झरना करीब आता है तो नई दुनिया खुलती है। काफी ऊंचाई से गिरते पानी की तेज गति उत्साह और रोमांच का चरम आनंद प्रदान करती है।

तंगलपारा पहाड़ी 
वेगामन की पहाड़ियों की शृंखला में इस पहाड़ी पर एक बड़ी चट्टान बड़े ही चमत्कारी ढंग से अपने को संतुलित किए हुए है। इस पहाड़ी की चोटी पर आप ट्रेकिंग के जरिए ही जा सकते हैं। वहां पहुंचकर आप इस दुनिया को एक्सप्लोर कर सकते हैं। तंगल पारा इसमें रहस्यमय आयाम भी जोड़ता है। माना जाता है कि इस स्थान पर अफगानी सूफी संत हजरत शेख फरीदुद्दीन बाबा भी आए थे। 800 ईस्वी की इस घटना से रिश्ता जोड़ते हुए मुस्लिम समुदाय द्वारा यहां पर एक छोटी-सी मस्जिद भी बनवाई गई है, जहां से आप वेगामन का विहंगम अवलोकन कर सकते हैं।

मुट्टकुन्न यानी अंडाकार टील
मुट्टकुन्न मलयालम भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है-अंडे की शक्ल वाले टीले। वेगामन अपने इस तरह के टीलों के लिए प्रसिद्ध है। ये टीले दरअसल घास से ढकी पहाड़ियों के उभरे हिस्से हैं। दूर-दूर तक फैली हरी चादर के बीच सिर उठाए ये छोटे-छोटे टीले एक अलग ही दुनिया की चीज लगते हैं। ऐसा लगता है कि किसी ने सायास इन टीलों को तैयार किया हो और इन्हें सुंदर बनाने के लिए इनमें हरा रंग भरा हो। प्रकृति की यह कलाकारी इस स्थान के होने की पहचान है। साहसी सैलानी इन पहाड़ी टीलों के आसपास टेंट लगाते हैं और खुले आसमान के नीचे प्रकृति से एकाकार होने का आनंद लेते हैं। घास के मैदान में उभरे ये टीले पिकनिक मनाने वालों को बहुत अच्छा अवसर उपलब्ध करवाते हैं, जहां वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुलकर जीवन के इस रूप का आनंद ले सकें।

ऐसे मिली पहचान
शताब्दियों तक वेगामन का सौंदर्य और इसकी अनूठी प्राकृतिक दुनिया अछूती रही। बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आकर इस स्थान को एक पहचान मिली, जब 1926 में ‘वाल्टर डंकन ऐंड कंपनी’ ने यहां चाय के बागान लगाने शुरू किए। 1930 तक आते-आते यहां चाय के कई बागान हो गए और फिर इसने ‘प्लांटेशन टाउन’ के रूप में अपनी अलग पहचान हासिल कर ली। 1950 में स्थापित कुरसिमला आश्रम ने वेगामन की प्रसिद्धि को दूर-दूर तक फैलाने में खूब मदद की।

आसपास के आकर्षण
इडकी आर्च डैम : वेगामन से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित यह बांध अपने आप में इंजीनियरिंग की मिसाल है। आसपास की पहाड़ियों को घेरकर पहाड़ पर होने वाली बारिश के पानी को रोका जाता है और उसका उपयोग बिजली बनाने व सिंचाई के लिए किया जाता है।

रामक्कलमेड 
रामक्कलमेड यहां का एक और प्रचलित स्थान है, जो वेगामन के पड़ोस को समृद्ध करता है। यह वेगामन से तकरीबन 57 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां के ऊंचे पहाड़ से तमिलनाडु के खेतों को देखा जा सकता है। ऊपर और नीचे के सौंदर्य को समझते हुए जीवन के दर्शन को समझना काफी रोचक अनुभव है। यहीं पास में पवन चक्कियों की दुनिया खुलती है। पहाड़ी पर घूमती पवन चक्कियों की विशालता यहीं महसूस की जा सकती है।

एलापरा का सौंदर्य
एलापरा अपनी अद्भुत खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। वेगामन से यह 17 किमी. दूर है। एला का अर्थ होता है- इलायची और पारा का अर्थ है चट्टान। यहां इलायची की खेती आज भी होती है, लेकिन उससे ज्यादा कॉफी और चाय की खेती होती है। इस गांव में रुकना और स्थानीय लोगों के बीच रहना एक नवीन अनुभव हो सकता है।

मुंडकायम घाट
वेगामन से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुंडकायम घाट खुद में विशिष्ट पर्यटन स्थल है। आप डूबते सूरज के नजारों पर मंत्रमुग्ध होते हैं तो इस घाट से नीचे क्षितिज पर डूबते सूरज को देखना भी बहुत ही रोमांचकारी अनुभव होता है। यहां कई तरह के पक्षियों को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। दरअसल, पक्षियों में रुचि रखने वाले लोग यहां आकर घंटों उनके सान्निध्य में बैठते हैं और उनके व्यवहार को समझते रहते हैं। यहां पाये जाने वाले पक्षियों में धनेश, गोल्डन ओरिओल, नारंगी मिनिवेट, रॉबिन, दरजिन, सदर्ण हिल मैना आदि प्रमुख हैं।

पाइन फॉरेस्ट के बीच ट्रेकिंग
वेगामन का पाइन फॉरेस्ट यानी चीड़ का जंगल यात्रियों के निजी एहसासों को छूता है। चीड़ के हजारों पेड़ों के बीच प्रकृति यहां वे क्षण उपलब्ध कराती है, जो अन्यत्र दुर्लभ हैं। आसपास का वातावरण तब और जादुई हो जाता है, जब सूरज की सुनहरी किरणें पेड़ों के बीच से छनकर जंगल में प्रवेश करती हैं। ऐसा लगता है कि किरणों के रूप में स्वर्णकण जंगल में प्रवेश कर रहे हों। बाहरी दुनिया की भाग-दौड़ से काफी दूर होने के कारण प्रकृति से यह जुड़ाव सहज ही संभव हो जाता है। यहां आने वाले पर्यटक बहुत कम होते हैं, इसलिए इस जंगल का आनंद बहुत आत्मिक रूप से उठाने में कोई दिक्कत नहीं होती। केरल के विषुवतीय वातावरण में चीड़ के इन पेड़ों का वहां होना एक अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र आसान ट्रेक के रूप में जाना जाता है। ट्रेकिंग पसंद करने वाले वे लोग, जिनकी सेहत श्रमसाध्य ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त नहीं, वे यहां चीड़ के जंगल के बीच अपनी इस इच्छा को पूरी कर सकते हैं।

वेगामन झरना और कुरिसमला आश्रम
वेगामन झील, वेगामन झरना और कुरिसमला आश्रम में वक्त बिताने का आनंद ही कुछ और है। झील के किनारे बैठकर चाय बागानों की हरियाली और उसकी पानी में बनती छवि निहारना एक अद्भुत अनुभव है। वेगामन फाल्स का आकर्षण बरसात में चरमोत्कर्ष पर होता है। तेजी से नीचे आता पानी यूं लगता है, जैसे सफेद बादल धरती में समा जाने के लिए चले आ रहे हों। कुरिसमला आश्रम ईसाई धर्म के आध्यात्मिक लोगों का स्थल है। वे यहां मानसिक शांति की तलाश करते हैं।

मुलग बज्जी और कॉफी का जायका
केरल का यह इलाका मलयाली भोजन के लिए प्रसिद्ध है। पर तमिल संस्कृति के मेल ने यहां के खान-पान को विविधता प्रदान की है। केरल के खाने में जहां तट्टदोसा प्रमुख स्थान रखता है, वहीं तमिल कामगारों के प्रभाव में यहां पेपर डोसा, घी रोस्ट आदि का चलन भी है। यहां कर्ड राइस, टोमैटो राइस जैसे खास तरह के तमिल व्यंजन भी मिलते हैं। मांसाहारी व्यंजनों में फिश फ्राई काफी लोकप्रिय है। मुलग बज्जी यानी मिर्च के पकौड़ों के साथ यहां की स्थानीय कॉफी का आनंद लेना न भूलें। अदरक वाली काली कॉफी यहां के चाय-बागानों के श्रमिकों में काफी लोकप्रिय है। स्थानीय फिल्टर कॉफी यहां से खरीदी जा सकती है, जो सस्ती और खास स्वाद वाली होती है।

चाय के शौकीन हैं, तो यहां करें शॉपिंग 
यहां पर्यटक कम आते हैं, इसलिए स्थानीय बाजारों को अन्य नामी पर्यटन स्थलों जैसा स्वरूप नहीं मिला है। इससे बाजारों की स्थानीयता को समझने का अवसर मिलता है। यहां से आप स्थानीय चाय की विभिन्न किस्में खरीद सकते हैं। यहां इलायची की उन्नत किस्में उचित मूल्य पर खरीदी जा सकती हैं। यहां की बड़ी-बड़ी और हरी इलायची खास हैं। यहां से ताजा नारियल-तेल भी खरीदा जा सकता है, जिसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती।

कैसे और कब जाएं?
वेगामन अब केरल के पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना रहा है। वैसे यहां तक सड़क संपर्क काफी पुराना है। नजदीकी रेलवे स्टेशन आलुवा है। करीबी हवाई अड्डा कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां से वेगामन तक टैक्सी से जा सकते हैं। यहां ठहरने के लिए बड़े स्टार होटल और रिसोर्ट नहीं हैं, लेकिन आकर्षक होम स्टे हैं। ये बेहद साफ-सुथरे और सुरक्षित स्थान हैं, जो बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध हो जाते हैं। यहां मार्च से जून और जुलाई से सितंबर तक आ सकते हैं।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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